NEW STEP BY STEP MAP FOR पारद शिवलिंग

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- वरदान के कारण नर्मदा नदी का कण-कण शिव माना जाता है. - नर्मदा नदी के शिवलिंग को सीधा ही स्थापित किया जा सकता है, इसके प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है. - कहा जाता है कि, जहां नर्मदेश्वर का वास होता है, वहां काल और यम का भय नहीं होता है.

नवग्रहों से जो अनिष्ट प्रभाव का भय होता है, उससे मुक्ति भी पारद शिवलिंग से प्राप्त होती है।

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वैदिक मान्यताओं के अनुसार, पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का स्वरूप है। ब्रह्मचारी महाराज के अनुसार हिंदू धर्म के रूद्रसंहिता, शिवपुराण, ब्रह्मपुराण, वायवीय संहिता, ब्रह्मवैवर्तपुराण आदि कई ऐसे ग्रंथ हैं, जिनमें पारद के शिवलिंग की महिमा का उल्लेख मिलता है। सौभाग्य बढ़ाने वाले पारद शिवलिंग का पूजन हमेशा श्रेष्ठ होता है यहां क्लिक करके पढ़िए- पारद के शिवलिंग को चमत्कारी क्यों माना जाता है। 

शिव पुराण के अनुसार जो लोग शिवलिंग की पूजा करके महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, उन्हें सुबह के समय और दोपहर से पहले पूजा कर लेनी चाहिए. तभी ये पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है. इसके अलावा याद रखें कि घर में जिस जगह पर शिवलिंग हों, उनके पास पूरा शिव परिवार माता गौरी, गणपति और कार्तिकेय जी को भी बैठाएं.

पारद शिवलिंगाच्या दर्शनाने मोठी पापे दूर होतात.

इस शिवलिंग की स्थापना आप सोमवार या चंद्र के किसी भी नक्षत्र यानि रोहिणी, हस्त या श्रवण नक्षत्र में कर सकते हैं।

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धार्मिक मान्यतेनुसार, महादेव हे पारद शिवलिंगात वास करतात. ज्या घरात पारदचे शिवलिंग असते, त्या घरात तंत्र-मंत्रचा किंवा इतर कोणत्याही नकारात्मक शक्तीचा प्रभाव राहत नाही. यासह विद्यार्थ्यांनी मानसिक क्षमता वाढवण्यास मदत होते. 'ओम नमः शिवाय' चा जप केल्याने ज्ञान, बुद्धी आणि बुद्धी वाढते. तर महामृत्युंजय मंत्राने आरोग्य आणि दीर्घायुष्यासाठी लाभते. घरात पारद शिवलिंगाची नियमित पूजा केल्याने घरात समृद्धी येते. विवाहास get more info पात्र असलेल्या तरुण-तरुणींनी पारद शिवलिंगासमोर बसून मंत्रोच्चारांसह पूजा करावी आणि चांगला जेडीदार मिळावा यासाठी प्रार्थना करावी.

१२ ज्योतिर्लिंगाचे पूजन केल्याचे जेव्हढे फळ आहे ते एकट्या पारद शिवलिंगच्या पूजेत सामावलेले आहे.

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Just rub the lemon within the area of Parad shivling just about every alternate working day. It'll commence shining. Then thoroughly clean it by using a h2o and wipe it off with clear cloth. Now it is able to worship or dress in. There will be no markings remaining any where inside the shivalingam or if worn in your body.

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